भारताला अगदी पूर्वीपासूनच मानवजातीच्या कल्याणासाठी ज्ञानाच्या निर्मिती व प्रसाराची परंपरा लाभली आहे. गेल्या काही शतकातील नागरीकरण प्रक्रियेच्या आगमनामुळे आपण बघत असलेल्या या प्राचीन परंपरेवर प्रभाव पडलेला आहे. डिजिटल भारताच्या या युगात आपल्या भाषा आणि ज्ञान जपून ठेवण्याची तत्काळ गरज आहे. या संदर्भानुसार, भारतवाणी प्रकल्प (बीवीपी), एक ज्ञानाचा उपक्रम याची सुरुवात मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार करत आहे. या प्रकल्पाचा उद्देश ऑनलाईन(इंटरनेटला संपर्कात असलेले) पोर्टल मधून बहुमाध्यामांच्या (पाठ, श्राव्य,दृक, चित्र) माध्यमातून सर्व भारतीय भाषांमधील ज्ञानाचे भांडार शोधण्यायोग्य निर्माण करणे हा आहे. भारतवाणी पोर्टलला समाजातील सर्व भागातून प्राप्त करता येऊ शकेल. हा प्रकल्प भारतीय भाषांचे केंद्रीय संस्थान, मैसूर, कर्नाटक द्वारे राबविला जात आहे. हे पोर्टल शैक्षणिक हेतूसाठी पुनर्मुद्रण (संशोधित) कायदा, २०१२च्या, कलमानुसार मुक्त ज्ञानाचा योग्य वापर प्रदान करत आहे. उपलब्ध ज्ञान सरकारने आणि सार्वजनिकरीत्या अनुदानित संस्थांनी आधीच भारतात सर्वत्र निर्माण करून उपलब्ध करून दिलेले आहे, आणि त्याला मजबुतीने, देवाणघेवाणीने, वापरकर्त्याच्या सोयीने वेब उपकरणांद्वारे प्रसार करून लोकांच्या उपयोगासाठी आणणे हे भारतवाणी प्रकल्पाचे मुख्य लक्ष असेल. या प्रकल्पाला राष्ट्रीय सल्लागार समिती व तंत्रज्ञान सल्लागार समिती याशिवाय प्रत्येक भाषेच्या भाषा संपादकीय समितींचे मार्गदर्शन मिळेल. एमएचआरडी या महत्वाकांक्षी प्रकल्पामध्ये परिणामतः ज्ञान वाटपाच्या प्रचंड सामाजिक चळवळी बरोबर वैयक्तिक, संस्थांच्या सक्रीय ज्ञानाची भागीदारी इच्छिते. भारतवाणी पोर्टल पुढील मुख्य विभागांमध्ये सामग्रीचे प्रकाशन करेल.
आपण आपल्या भाषांचा वापर सर्व डिजिटल व्यासपीठांमध्ये करूया आणि आमच्या समृद्ध वारशाच्या उपस्थितीचा विस्तार संपूर्ण जगभर करूया.
भारतवाणी : भारतीय भाषाओं द्वारा ज्ञान
भारत में ज्ञान के निर्माण और उसको बाँटने की पुरानी परंपरा है जो मानव जाति के कल्याण के लिए है। विगत अनेक शताब्दियों के दौरान बाहरी सभ्यताओं के आगमन ने इस प्राचीन परंपरा के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित किया है। ‘डिजिटल भारत’ के इस युग में अपने इस ज्ञान और अपनी भाषाओं को संरक्षित करने की महती आवश्यकता है।
इस परिप्रेक्ष्य में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भारतवाणी परियोजना की शुरुआत की गई है जो ज्ञान के क्षेत्र में एक अनूठी पहल है। इस परियोजना का लक्ष्य एक ऑनलाइन पोर्टल के ज़रिए लगभग सभी भारतीय भाषाओं में और उनके बारे में मल्टीमीडिया प्रारूप (पाठ, श्रव्य, दृश्य, चित्रांकित रूप) में ज्ञान का ऐसा भंडार बनाना है जिसमें से मनचाही सूचना ढूँढकर निकाली जा सके।
यह भारतवाणी पोर्टल समाज के हर तबके की पहुँच के भीतर होगा। इसका क्रियान्वयन भारतीय भाषा संस्थान, मैसूरु, कर्नाटक के द्वारा किया जा रहा है। इस पोर्टल पर कॉपीराइट (संसोधित) कानून, 2012 की ‘उचित प्रयोग’ से संबंधित धाराओं के अंतर्गत शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए मुक्त ज्ञान सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है।
एक सबल, अंतःक्रियात्मक और उपयोग में आसान वेब उपकरण के जरिए देश भर के विभिन्न सरकारी/निजी संस्थानों द्वारा तैयार ज्ञान सामग्री को इकट्ठा करके उसे सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध कराना भारतवाणी परियोजना का प्रमुख कार्यक्षेत्र है। इस परियोजना का मार्गदर्शन एक राष्ट्रीय सलाहकार समिति और एक तकनीकी सलाहकार समिति करेगी और इनके अतिरिक्त प्रत्येक भाषा के लिए अलग-अलग संपादकीय समितियाँ भी होंगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं और व्यक्तियों से इस महत्वाकांक्षी परियोजना में सक्रिय सहभागिता की अपील करता है जो ज्ञान के आदान-प्रदान के एक बड़े सामाजिक आंदोलन में परिणत हो पाएगा।
भारतवाणी परियोजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में सामग्री का प्रकाशन किया जाएगा-
आइए! अपनी भाषाओं में हम ज्ञान की खोज करें। सभी डिजिटल मंचों पर अपनी भाषा का विस्तृत उपयोग करें और संपूर्ण विश्व को अपनी समृद्ध विरासत का अनुभव कराएँ।
Bharatavani: Knowledge through Indian languages
India has a hoary tradition of creating and sharing knowledge for the welfare of the mankind. The advent of civilisation over the past several centuries impacted the way we looked at this ancient tradition. There is an urgent need to preserve the knowledge and our languages in the era of Digital India.
In this context, the Bharatavani Project (BvP), a knowledge initiative is launched by the Ministry of Education (MOE), Government of India. This Project aims to build a searchable knowledge repository in and about all the languages in India in multimedia (text, audio, video, images) formats through an online portal. The Bharatavani Portal will be accessible to all sections of society. The Project is being implemented by the Central Institute of Indian Languages, Mysuru, Karnataka. The Portal offers open knowledge under fair usage clauses of The Copyright (Amendment) Act, 2012, for educational purposes.
Providing available knowledge already created by the Government and publicly funded institutions all over India, and putting it across for the public usage, by deploying robust, interactive, user friendly web tools will be the main thrust of the Bharatavani Project. The Project will be guided by a National Advisory Committee and a Technology Advisory Committee, besides Language Editorial Committees in each of the languages. The MHRD seeks active participation of the knowledge organisations, individuals in this ambitious project resulting in a massive social movement of knowledge sharing.
The Bharatavani Portal would publish the content in the following main sections:
1. PaaThyapustaka Kosha: Textbooks
2. Jnana Kosha : Knowledge base (Digitisation underway)
3. Shabda Kosha: Dictionaries
4. Bhasha Kosha : Language learning
5. Suchanaa Praudyogikii Kosha : IT tools (Linked to TDIL)
6. Bahumaadhyama Kosha: Multimedia
Come and explore the knowledge in our languages. Let us use our languages extensively in all digital platforms and make the presence of our rich heritage felt all over the world.