मिथ्यापनीयता
कार्ल पॉपर के अनुसार कोई प्रतिज्ञप्ति निर्णायक रूप में सत्यापित तो नहीं की जा सकती किन्तु वह निर्णायक रूप में असत्यापित अवश्य की जा सकती है।
उदाहरण : यदि व्यवहार में 'एक भी कौआ सफेद दिखाई पड़ता है' तो 'सभी कौए काले होते हैं।' यह प्रतिज्ञप्ति मिथ्यापनीय हो जायेगी।
Family Of Sense Data
इंद्रिय प्रदत्त-परिवार
समकालीन अंग्रेज दार्शनिक एच. एच. प्राइस के अनुसार, किसी भौतिक वस्तु से संबंधित इंद्रियदत्तों का समुच्चय, जिसका अन्य भौतिक वस्तुओं के इंद्रियप्रदत्त-समुच्चयों से भेद किया जा सकता है।
Fana
फना, तदाकार होना, लीन होना
मुसलमान सूफियों की मान्यता के अनुसार समाधि की अवस्था जिसमें साधक ईश्वर से एकाकार हो जाता है और अपने अस्तित्व को बिल्कुल भूल जाता है।
Fatalism
भाग्यावाद, दैववाद
वह मत कि मनुष्य जो कुछ भी होता है या करता है वह पहले से ही भाग्य के द्वारा नियत होता है।
Fecundity Of Pleasure
सुख की उर्वरकता
सुखवादी बेन्थम के अनुसार, सुख की अन्य सुखों की जन्म देने की क्षमता।
Felapton
फेलाप्टोन
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
जैसे : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है;
कुछ मनुष्य विवेकशील हैं;
∴ कुछ विवेकपूर्ण प्राणी पूर्ण नहीं हैं।
Ferio
फेरीयो
प्रथम आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक, तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई बंगाली यूरोपीय नहीं है;
कुछ दार्शनिक बंगाली हैं;
∴ कुछ दार्शनिक यूरोपीय नहीं हैं।
Ferison
फेरिसोन
तृतीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक और निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य बंदर नहीं है;
कुछ मनुष्य नीग्रो हैं;
∴ कुछ नीग्रों बंदर नहीं है।
Fesapo
फेसापो
चतुर्थ आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य सर्वव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी बंदर मनुष्य नहीं हैं;
कुछ मनुष्य द्विपद हैं;
∴ कुछ द्विपद बंदर नहीं है।
Festino
फेस्टीनो
द्वितीय आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साधय - आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष-आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य बंदर नहीं है;
कुछ प्राणी बंदर हैं;
∴ कुछ प्राणी मनुष्य नहीं हैं।