तत्व, सार
वस्तु का स्वरूप; वह जो परिभाषा में व्यक्त होता है; कॉलेस्टिक दर्शन में प्रयुक्त एक शब्द।
Quietism
1. नैष्कर्म्यवाद : सत्रहवीं शताब्दी की एक रहस्यवादी विचारधारा, जिसके अनुसार ईश्वर की कृपा से ही मुक्ति प्राप्त हो सकती है और ईश्वर का कृपा-पात्र बनने के लिए पूर्ण आत्म-समर्पण आवश्यक होता है, जो तभी संभव है जब व्यक्ति बिलकुल निष्क्रिय हो जाए। भारतीय चिंतन प्रणाली में इसे मार्जार-किशोर न्याय कहते हैं।
2. नैष्कर्ण्य : निष्क्रियता या पूर्ण शांति की अवस्था।
Quintessence
1. सारतत्व : विशुद्ध सार; सार का सबसे अधिक घनीभूत रूप।
2. पंचमतत्व : अरस्तू के दर्शन में, पाँचवाँ तत्व (पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि के अतिरिक्त), जिससे दिव्य वस्तुएँ बनी हैं।