संकल्प-स्वातन्त्रय
कई विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुनने तथा तदनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता, जो कि नैतिक दायित्व की आधारभूत मान्यता है।
Freeman'S Worship
मुक्त मानव की उपासना
रसल के अनुसार, वह स्थिति जब व्यक्ति निजी सुख या संसार की क्षणिक वस्तुओं की कामना से मुक्त होकर वस्तुओं की अनन्य भाव से चिंतन करता है।
Free Thinker
मुक्त चिन्तक
श्रुति, इलहाम, पैंगबर इत्यादि का अंधानुसरण न करने वाला, आप्तप्रमाण को न मानने वाला तथा सूक्ष्म (विशेषतः धर्म और निति की) बातों को तर्कगम्य मानने वाला व्यक्ति।
Free Thought
स्वतंत्र विचार, मुक्त विचार
रसल के अनुसार, वह विचार जो कानूनी या आर्थिक लाभ-हानि के दायरे से स्वतंत्र, प्रमाण मात्र के बल पर आश्रित होता है।
Fresison
फ्रेसीसोन
चतुर्थ आकृति का वह प्रामाणिक न्यायवाक्य जिसका साध्य-आधारवाक्य सर्वव्यापी निषेधात्मक, पक्ष- आधारवाक्य अंशव्यापी विध्यात्मक तथा निष्कर्ष अंशव्यापी निषेधात्मक होता है।
उदाहरण : कोई भी मनुष्य पूर्ण नहीं है;
कुछ पूर्ण प्राणी विवेकशील हैं;
∴ कुछ विवेकशील प्राणी मनुष्य नहीं हैं।
Fruition
कर्मविपाक
विशेषतः भारतीय कर्मवाद के संदर्भ में, अच्छे-बुरे कर्मों के नैतिक परिणामों का प्रकट होना।
Full Contrapositive
पूर्ण प्रतिपरिवर्तित
एक प्रकार के अव्यवहित अनुमान, प्रतिपरिवर्तन के निष्कर्ष के रूप में प्राप्त वह प्रतिज्ञप्ति जिसका उद्देश्य मूल विधेय का व्याघाती तथा विधेय मूल उद्देश्य का व्याधाती होता है। जैसे : `कोई मनुष्य गधा नहीं है` से प्राप्त यह प्रतिज्ञप्ति कि `कुछ जो गधे नहीं हैं, मनुष्य नहीं हैं।`
Functional Realism
अन्योन्याश्रयी यथार्थवाद, प्रकार्थात्मक यथार्थवाद
वह मत कि विश्व की द्रव्य, गुण, द्रष्टा, दृश्य इत्यादि सभी वस्तुएँ परस्पर आश्रित हैं, अर्थात् प्रत्येक वस्तु शेष सभी वस्तुओं के द्वारा निर्धारित है।
Fundamentalism
मूलप्रमाणवाद, धार्मिक श्रेष्ठतावाद
1. मुख्यतः प्रोटेस्टेण्ट सम्प्रदाय में इस अर्थ में प्रचलित शब्द कि धार्मिक सिद्धांत उनकी आधुनिक व्याख्याओं की अपेक्षा अधिक प्रामाणिक है।
2. मूल धार्मिक ग्रन्थों/ मान्यताओं का अक्षरशः अनुसरण।
Fundamental Syllogism
मूल न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसके आधारवाक्य में कोई भी पद अनावश्यक रूप से व्याप्त न हो, अर्थात् जिसका आधारवाक्यों में कोई भी ऐसा पद व्याप्त न हो जो निष्कर्ष में अव्याप्त है और हेतु-पद केवल एक बार व्याप्त हो। जैसे, बार्बाराः सभी मनुष्य मरणशील हैं; सुकरात एक मनुष्य है; अतः सुकरात मरणशील है। (यहाँ हेतु-पद `मनुष्य` केवल एक बार साध्य आधारवाक्यों में व्याप्त है और पक्ष-पद निष्कर्ष और पक्ष-आधारवाक्य दोनों में व्याप्त है।)