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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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नीझर
झरना, सोता।
संज्ञा
[सं. निर्झर]

नीठ, नीटि
ज्यों-त्यों करके।
उ.-तेई कमल सूर नित चितवत नीठ निरंतर संग-सा. ३-४४।
क्रि. वि.
[हिं. निठि]

नीठ, नीटि
बड़ी कठिनता से।
क्रि. वि.
[हिं. निठि]

नीठि
अनिच्छा।
संज्ञा
[सं. अनिष्टि, प्रा. अनिट्ठि]

नीठि
जैसे-तैसे।
क्रि. वि.

नीठि
कठिनता से।
क्रि. वि.

नीठो
न सुहाने या भानेवाला।
उ.-छेक उक्त जहँ दुमिल समझ केका समुझावत नीटो। मिसिरी सूर न भावत घर की चोरी को गुड़ मीठो-सा० ९०।
वि.
[हिं. नीठि]

नीड़
बैठने या ठहरने का स्थान।
संज्ञा
[सं.]

नीड़
चिड़ियों के रहने का घोंसला।
उ.-नूपुर कलरव मनु हंसनि सुत रचे नीड़, दै बाहँ बसाए-१०-१०४।
संज्ञा
[सं.]

नीड़क, नीड़ज
पक्षी, चिड़िया।
संज्ञा
[सं.]


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