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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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नीकी
अच्छी, भली।
उ.-(क) होरी खेलन की बिधि नीकी। (ख) माखन खाइ, निदरि नीकी बिधि यह तेरे सुत की घात-१०-३०६।
वि.
[हिं. नीका]

नीके
ठीक, स्वस्थ, सुचित्त।
उ.-लोग सकल नीके जब भए। नृप कन्या दै, गृह कौं गए-९-२।
वि.
[हिं. नीक]

नीके
भले, अच्छे।
उ.-इतने काज किये हरि नीके-२६४३।
वि.
[हिं. नीक]

नीके
अच्छी तरह, भली भाँति।
उ.-हरि की भक्ति करो सुत नीके जो चाहो सुख पायो।
क्रि. वि.

नीकैं
अच्छी तरह, भली भाँति।
उ.-नीकैं गाइ गुपालहिं मन रे। जा गाए निर्भय पद पाए अपराधी अनगन रे-१-६६।
क्रि. वि.
[हिं. नीक]

नीकौ
भला, अच्छा, श्रेष्ठ।
उ.-(क) कोउ न समरथ अघ करिबे कौं, खैंचि कहत हौं लीकौ।मरियत लाज सूर पतननि मैं, मोहूँ तैं को नीकौ-१-१३८। (ख) हम तैं बिदुर कहा है नीकौ-१-२४३।
वि.
[हिं. नीका]

नीकौ
अनुकूल, उत्तम।
उ.-यक ऐसेहि झकझोरति मोको पायो नीको दाउँ-१६१३।
वि.
[हिं. नीका]

नीकौ
दोष देन कौं नीकौ- दोष देने को सदा तैयार, दूसरों के दोष निकालने में तेज। उ.-महा कठोर, सुन्न हिरदै कौ, दोष देन कौं नीको-१-१८६।
मु.

नीच
जाति, गुण, कर्म आदि में घट कर होना, क्षुद्र तुच्छ।
वि.
[सं.]

नीच
निम्न श्रेणी का, बुरा।
वि.
[सं.]


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