उ.-(क) गीध, ब्याध, गज, गौतम की तिय, उनकौ कौन निहोरौ। गनिका तरी आपनी करनी, नाम भयौ प्रभु तोरौ-१-१३२। (ख) बिप्र सुदामा कियौ आजाची, प्रीति पुरातन जानि। सूरदास सौं कहा निहोरौ, नैननि हूँ की हानि-१०-१३५। (ग) कह दाता जो द्रवै न दीनहिं देंखि दुखित ततकाल। सूर स्याम कौ कहा निहोरौ तलत बेद की चाल-१-१५९।
संज्ञा
[हिं. निहोरा]
नींद
सोने की अवस्था, निद्रा।
उ.-गोबिंद गुन चित बिसारि, कौन नींद सोयौ-१-३३०।
संज्ञा
[सं. निद्रा]
नींद
नींद उचटना- फिर नींद न आना।
नींद उचाटना- नींद न आने देना।
नींद उचाट होना- नींद टूटने पर फिर न आना।
नींद जाना- नींद न आना।
नीद गई- नींद आती ही नहीं। उ.- कहा करौं चलत स्याम के पहिलेहि नींद गई दिन चार-२७९५।
नींद पड़ना- नींद आना।
नींद भरना- पूरी नींद सोना।
नींद भर सोना- जी भरकर सोना।
नींद लेना- सो जाना।
नींद लीन्हीं- सोयी। उ.-जब तें प्रीति स्याम सों कीन्हीं। ता दिन ते मेरे इन नैननि नैंकहुँ नींद न लीन्हीं।
नींद संचारना- नींद आना।
नींद हराम करना - सोने न देना।
नींद हराम होना- सो न सकना।
मु.
नींदड़ी
नींद, निद्रा।
संज्ञा
[हिं. नींद]
नींदति
निंदा करती है।
उ.-नींदति सैल उदधि पन्नग को श्रीपति कमठ कठोरहिं-२८६२।