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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निहोरी
प्रार्थना की, विनय की, खुशामद की।
उ.-मोहिं भयौ माखन पछितावौ रीती देखि कमोरी। जब गहि बाँह कुलाहल कीनी, तब गहि चरन निहोरी-१०-२८६।
संज्ञा
[हिं. निहोरना]

निहोरी
प्रशंसा, कृतज्ञता-प्रदर्शन।
उ.-दै मैया भौंरा चक डोरी।¨¨¨¨। मैया बिना और को राखै, बार-बार हरि करत निहोरी-१०-६६९।
संज्ञा

निहोरे
मनाने या बहलाने कै लिए कहे गयै वचन या किये गये कार्य।
उ.-बरा कौर मेलत मुख भीतर, मिरिच दसन टकटौरे।¨¨¨¨। सूर स्याम कौं मधुर कौर दै कीन्हें तात निहोरे-१०-२२४।
संज्ञा
[हिं. निहोरा]

निहोरो, निहारौ
अनुग्रह, कृतज्ञता, एहसान, उपकार।
उ.-(क) गीध, ब्याध, गज, गौतम की तिय, उनकौ कौन निहोरौ। गनिका तरी आपनी करनी, नाम भयौ प्रभु तोरौ-१-१३२। (ख) बिप्र सुदामा कियौ आजाची, प्रीति पुरातन जानि। सूरदास सौं कहा निहोरौ, नैननि हूँ की हानि-१०-१३५। (ग) कह दाता जो द्रवै न दीनहिं देंखि दुखित ततकाल। सूर स्याम कौ कहा निहोरौ तलत बेद की चाल-१-१५९।
संज्ञा
[हिं. निहोरा]

नींद
सोने की अवस्था, निद्रा।
उ.-गोबिंद गुन चित बिसारि, कौन नींद सोयौ-१-३३०।
संज्ञा
[सं. निद्रा]

नींद
नींद उचटना- फिर नींद न आना। नींद उचाटना- नींद न आने देना। नींद उचाट होना- नींद टूटने पर फिर न आना। नींद जाना- नींद न आना। नीद गई- नींद आती ही नहीं। उ.- कहा करौं चलत स्याम के पहिलेहि नींद गई दिन चार-२७९५। नींद पड़ना- नींद आना। नींद भरना- पूरी नींद सोना। नींद भर सोना- जी भरकर सोना। नींद लेना- सो जाना। नींद लीन्हीं- सोयी। उ.-जब तें प्रीति स्याम सों कीन्हीं। ता दिन ते मेरे इन नैननि नैंकहुँ नींद न लीन्हीं। नींद संचारना- नींद आना। नींद हराम करना - सोने न देना। नींद हराम होना- सो न सकना।
मु.

नींदड़ी
नींद, निद्रा।
संज्ञा
[हिं. नींद]

नींदति
निंदा करती है।
उ.-नींदति सैल उदधि पन्नग को श्रीपति कमठ कठोरहिं-२८६२।
क्रि. स.
[हिं. नींदना]

नींदना
नींद लेना, सोना।
क्रि. अ.
[हिं. नींद]

नींदना
निंदा करना।
क्रि. स.
[हिं. नींदना]


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