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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निहारिका
आकाश में कुहरे- सी फैली हुई प्रकाश-रेखा।
संज्ञा
[सं. निहारिका]

निहारी
देखा, निहारा, ताका।
उ.-अँधियारी आई तहँ भारी। दनुजसुता तिहिंतैं न निहारी-९-१७४।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारे
ध्यानपूर्वक देखा, दृष्टि डाली।
उ.-आइ निकट श्रीनाथ निहारे, परी तिलक पर दीठि-१-२७४।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारैं
देखते हैं, ताकते हैं।
उ.-दोऊ ताकी ओर निहारैं-६-४।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारै
निहारता है, ताकता है।
उ.-षोड़स जुक्ति, जुवति चित षोडस, षोड़स बरस निहारै-१-६०।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारौ
देखो, अवलोको।
उ.-याकौ सुंदरं रूप निहारौ-७-७-।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारथौ
देखा।
उ.-तोरि कोदंड मारि सब जोधा तब बल-भुजा निहारथौ-२५८६।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारथौ
देख-समझ सका।
उ.-घँसि कै गरल लगाय उरोज़न कपट न कोउ निहारथौ।
क्रि.स
[हिं. निहारना]

निहाल, निहाला
पूर्ण संतुष्ट और प्रसन्न।
उ.-(क) जैसैं रंक तलक धन पाए ताहि महा वह होत निहाल-१३२३। (ख) जन्म मरन तैं रहि गयौ वह कियौ निहाला-२५७७।
वि.
[फ़ा.]

निहाली
गद्दा, तोशक।
संज्ञा
[फ़ा.]


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