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Braj Bhasha Soor-Kosh (Vol-VI)

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निहार
देखकर, अवलोक कर।
उ.-तबहूँ गयौ न क्रोध-बिकार। महादेव हू फिरे निहार-७-२।
क्रि. स.
[सं. निहारना]

निहार
बचाकर, सावधानी से बचकर।
भरत चलै पथ जीव निहार। चलै नहीं ज्यौं चलैं कहार-५-४।
क्रि. स.
[सं. निहारना]

निहार
पाला।
संज्ञा
[सं.]

निहार
ओस।
संज्ञा
[सं.]

निहार
हिम।
संज्ञा
[सं.]

निहारत
देखती है, ताकती है।
उ.-झूठौ मन, झूठी सब काया, झूठी आरभटी। अरु झूठनि के बदन निहारत मारग फिरत लटी-१-९८।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारति
देखती-ताकती है।
उ.-नावसत साजि सिंगार बनी सुंदरि आतुर पंथ निहारति-२५६२।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]

निहारना
देखना।
क्रि. स.
[सं. निभालन=देखना]

निहारनि
निहारने की क्रिया या भाव, चितवनि।
संज्ञा
[हिं. निहारना]

निहारि
देखकर, देखदेख, ताककर।
उ.-काकौ बदन निहारि द्रौपदी दीन दुखी संभरिहै ? -१-२९।
क्रि. स.
[हिं. निहारना]


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