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Definitional Dictionary of Philosophy (English-Hindi)
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Moral Syllogism
नैतिक न्यायवाक्य अरस्तू ने नैतिक न्याय-वाक्य को एक बौद्धिक क्रिया की परिणति माना है : पहले व्यक्ति को नैतिक मानक का बोध होता है, फिर उसे परिस्थिति विशेष में कर्म-विशेष के उस मानक के अनुरूप होने का बोध होता है और तब वह तदनुसार आचरण करता है। इन तीनों चरणों को क्रमशः न्यायवाक्य का साध्य- आधारवाक्य, पक्ष-आधारवाक्य और निष्कर्ष के रूप में लिया जाता है।

Moral Theology
नैतिक धर्मशास्त्र, नैतिक ईश्वरमीमांसा संकुचित अर्थ में, धर्मशास्त्र की वह शाखा जो ईसाई धर्मावलंबियों के जीवन का ईश्वरीय इच्छा के संदर्भ में अध्ययन करती है। व्यापक अर्थ में, मानवीय जीवन की समस्या का, उसके नैतिक लक्ष्यों का, उसके नैतिक मानकों का और मानव के नैतिक आचरण का तथा इन सबका ईश्वर से जो संबंध है उसका अध्ययन करने वाला शास्त्र।

Mortalist
नश्वरवादी वह व्यक्ति जो यह विश्वास करता है कि मृत्यु के पश्चात् कुछ शेष नहीं रहता।

Mortification Of The Flesh
आत्म-यातना, देह-यातना आध्यात्मिक उपलब्धि के लिए संयम और त्याग का आचरण करते हुए नैसर्गिक इच्छाओं का दमन तथा प्रायश्चित के रूप में अथवा तप इत्यादि के द्वारा शरीर को कष्ट देना।

Mosaic Philosophy
मोजेक दर्शन विश्व को मोज़ेक के समान विभिन्न रूप-रंगों वाले मौलिक तत्वों से निर्मित माननेवाला सिद्धांत।

Multiformity
बहुरूपता स्टेबिंग (Stebbing) के अनुसार, एक साथ देखी गई ऐसी घटनाओं का एक समूह जिनमें से कोई एक या अधिक अन्य अवसरों पर अन्य की अनुपस्थिति में घटित होती है : समूह घटनाओं के अलावा गुणों या विशेषताओं का भी हो सकता है।

Multiple Location Theory
अनेकत्र-स्थिति सिद्धांत, बहु-स्थिति सिद्धांत न्यूटन आदि वैज्ञानिकों तथा सहज वस्तुवाद के स्थान परिसीमन सिद्धांत (simple location theory) के विपरीत हाइटहेड के द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत। इस सिद्धांत के अनुसार ऐसा समझना अत्यन्त भ्रामक है कि कोई भी वस्तु एक विशेष स्थान में सीमित रहती है। इसे स्थान परिसीमन का दोष कहते है। वस्तुतः कोई भी वस्तु-विशेष प्रक्षेपों का एक ऐसा समूह होती है जो अपने पड़ोस में और पड़ोस से भी प्रभावी हो सकती है एवं पड़ोस की कोई निश्चित सीमा नहीं होती है। इसके परिणामस्वरूप उसमें अनेक गुण आ जाते हैं जो परस्पर विरोधी तक भी हो सकते हैं। जैसे : एक सिक्के की दीर्घवृत्तीयता और वृत्तीयता।

Multiple Relation Theory
बहु-संबंध-सिद्धांत निर्णय को निर्णयकर्त्ता का मन (विषयी) एवं बाह्य-पदार्थ (विषय) स्वीकार करने वाले दार्शनिकों का मत। इसके अनुसार निर्णय के एक घटक के रूप में निर्णय कर्त्ता का मन विषयी होता है एवं अन्य प्रतिज्ञप्ति के अंश होते हैं, जिन्हें विषयी एक निश्चित अर्थ प्रदान करता है।

Mundus Intelligibilis
प्रज्ञा-लोक प्लेटो के अनुसार प्रज्ञागम्य सत्ताओं का लोक जिसमें दृश्य जगत् की प्रत्येक वस्तु का प्रतिमान विद्यमान रहता है।

Mysticism
रहस्यवाद वह मत कि परम सत् अपरोक्षानुभूतिगम्य है। इसका ज्ञान, बुद्धि, तर्क एवं भाषा से परे है।


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