काल-विपर्यय (उत्क्रमण) परीक्षण के अनुसार, एक सूचकांक में काल अवधियों के उत्क्रमण के फलस्वरूप प्राप्त सूचकांक तथा मूल सूचकांक का गुणनफल 1 होना चाहिए। अर्थात्:—
Io,n ×In,o=1
यहाँ Io,n/मूल सूचकांक तथा In,o/ परिवर्तित सूचकांक है, जिसमें आधार वर्ष को चालू और चालू वर्ष को आधार वर्ष मानते हैं।
इस परीक्षण द्वारा सूचकांक की सुष्ठता के आधार पर वह सूचकांक सूत्र उत्तम माना जाता है जिसमें यदि काल अवधियों का उत्क्रमण किया जाए तो परिणामी सूचकांक मूल सूचकांक का व्युत्क्रम हो।
Time series
काल-श्रेणी
काल-श्रेणी से तात्पर्य कालक्रम के अनुसार दिए गए आँकड़ों की सारणी है।
काल श्रेणी अध्ययन एक ही देश या क्षेत्र के लिये कालांतर में इकट्ठे किए गए आँकड़ों के आधार पर किए जाते हैं। इन आँकड़ों को भिन्न-भिन्न कालों में बाँटकर मासिक, तिमाही या वार्षिक ढंग से सारणीबद्ध किया जाता है और फिर इसके आधार पर समान अंतराल से होने वाली घटनाओं के बारे में पुर्वानुमान तैयार किए जाते हैं तथा किसी आर्थिक घटना का चक्रीय अध्ययन किया जाता है।
जब ये आँकड़े भिन्न-भिन्न देशों, क्षेत्रों या समष्टियों से एक काल के लिए लिये जाते हैं, तब इसे वर्गगत अध्ययन कहा जाता है। कभी-कभी काल-श्रेणी और वर्गगत दोनों प्रकार के आँकड़ों को मिलाकर भी आर्थिक अध्ययन किये जाते हैं।
गतिकी अर्थशास्त्र में काल-श्रेणी के अध्ययनों का बहुत महत्व है, क्योंकि इन्हीं के आधार पर नीति-निर्णय लिए जाते हैं और पूर्वानुमान लगाए जाते हैं।
Tolerance interval
सहयता- अंतराल
यह एक सांख्यिकी-संकल्पना है जो एक बिन्दु आकलक के गिर्द सममितिक आधार पर निर्भर करती है।
इसका उद्देश्य एक कथित प्रायिकता Y को मालूम करना होता है जिसमें कम से कम किसी विवेच्य जनसंख्या P में व्यक्तियों का एक विशिष्ट अनुपात निकालना होता है।
इसकी सहायता से हम एक दिए हुए P आकार के जनसंख्या के नमूने में से भविष्य में इसके मान Y का पूर्वानुमान करते हैं।
सहायता अंतराल वह अंतराल है जो दी हुई प्रायिकता के अनुसार बनाया गया है। यह प्रायिकता किसी समष्टि में कम से कम एक निर्धारित अवयवों के अनुपात को दर्शाती है।
Total variation
संपूर्ण विचरण
महामाध्य से सभी वर्गीकृत विचलनों का जोड़ संपूर्ण विचरण कहलाता हैं।
यह〖Ns〗^2 के बराबर होता है जहाँ पर s मानक विचलन का द्योतक है। इसका सूत्र इस प्रकार है:
∑_1^N〖(x-x̅)〗^2
संपूर्ण विचरण स्तंभ माध्यों के बीच तथा उनके अन्दर के विचरण के जोड़ के बराबर होता है।
किन्हीं दो आगतों के बीच तथा किसी एक आगत और निर्गत के बीच अनुपातों का विश्लेषण रूपांतरण वक्र की विधि द्वारा किय़ा जाता हैं।
इस विधि में एक निर्गत को क्षैतिज अक्ष पर दिखाया जाता है। जब सभी आगत और निर्गत ज्ञात होते हैं तब हम इस वक्र को नीचे के चित्र के अनुसार दिखा सकते हैं।
रूपांतरण वक्र का दूसरा नाम उत्पादन संभावना वक्र है।
(DIAGRAM)
Transformation of variable
चर रूपांतरण
एक चर को किसी गणितीय समीकरण से जोड़कर दूसरे चर के रूप में बदलना।
यह इस प्रयोजन से किया जाता है कि किसी चर के बंटन के फलन को पूर्णतः अथवा निकटतम रूप से किसी ऐसे दूसरे विचर के रूप और गुणों के बंटन के रूप में दिखाना होता है जिसका फलन हमें ज्ञात होता है। इस तरह यह अज्ञात विचर को ज्ञात फलन के रूप में दिखाने की एक गणितीय विधि है।
Transverse of matrix
आव्यूह परिवर्त
यदि किसी आव्यूह (मैट्रिक्स) की पंक्तियों और स्तंभों को आपस में अदल-बदलकर लिखा जाता है, तो इस प्रकार से जो नया आव्यूह बनता है वह मूल आव्यूह का परिवर्त कहलाता है।
इसमें उतने ही अवयव होते हैं जितने कि मूल में जैसे नीचे मैट्रिक्स x का परिवर्त x' है
x=⟦■(11&0&8@-5&2&-7)⟧
x'=■(11&-5@0&2@8&-7)⟧⟧
एक सममित वर्ग-आव्यूह ही अपने परिवर्त का सममित होता है।
Triangular matrix
त्रिकोणीय आव्यूह
निम्न प्रकार का आव्यूह
⟦■(a_11&0&0@a_21&a_22&0@a_31&a_32&a_33 )⟧
जब आव्यूह का रूप इस प्रकार होता है:—
a 0 0 0 0
b c 0 0 0
- - - - -
f g - - n
तब इसे अर्ध-त्रिकोणीय (Quasi-triangular) आव्यूह कहा जाता है।
तुल∘ दे∘ (matrix)
Triangular reduction
त्रिकोणीय लघुकरण
यदि A, m कोटि का वर्ग-आव्यूह हो और इसके अन्दर m x m आकार का एक ऐसा व्युत्क्रमणीय आव्यूह हो जिसमें BA एक त्रिकोण के आकार का बन जाए अर्थात् ऐसे आव्यूह में विकर्ण से नीचे के सभी अवयव शून्य हों तब इस प्रकार के समानयन को त्रिकोणीय लघुकरण कहा जाता है।
Triagnometric function
त्रिकोणमितीय फलन
जब चरों को त्रिकोणमितीय रूपों में रखकर इनका आपसी संबंध प्रदर्शित करते हैं तब फलन को त्रिकोणमितीय फलन कहते है।
साधारणतया त्रिकोणमितीय फलन में आश्रित चर अपने मूल रूप में ही रहता है जैसे:—