युक्ति का अर्थ खेल सिद्धान्त के अन्तर्गत किसी खिलाड़ी के संदर्भ में एक ऐसा फलन है जो उस खिलाड़ी के प्रत्येक सूचना सेट को निश्चित करता है और जिसका मान उसको उपलब्ध प्रत्येक विकल्प को दर्शाता है।
इस प्रकार कोई युक्ति खिलाड़ी को यह बताती है कि प्रत्येक संभव जानकारी के आधार पर वह कौन सा कदम उठा सकता है।
युक्तियाँ दो प्रकार की होती हैं:—
(1) विशुद्ध (संभव चालों के सेट में से एक निश्चित चाल चलना)
(2) मिश्रित (संभव चालों में से भिन्न-भिन्न चालें चलना)
Stratified sampling
स्तरित प्रतिचयन
जब समष्टि विषमाँगी हो तो पहले उसे कई सजातीय उपवर्गों या स्तरों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक उपवर्ग या स्तर से उसके परिमाण का आनुपातिक एक यादृच्छिक प्रतिदर्श चुन लिया जाता है। प्रत्येक उपवर्ग से वरण किए नए तत्वों को मिलाकर जिस प्रतिदर्श की रचना होती है वह उसका प्रतिनिधि माना जाता है।
स्तरित प्रतिचयन सोद्देश्य प्रतिचयन तथा यादृच्छिक प्रतिचयन के संयोग का परिणाम है।
उपवर्ग या स्तर एक विशिष्ट लक्ष्य को लेकर बनाए जाते हैं और समाँगता को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक उपवर्ग के प्रतिदर्श यादृच्छया चुनें जाते हैं।
Structural equation
संरचनात्मक समीकरण
किसी फलन के स्वायत्त समीकरणों का समुच्चय।
इनमें स्पष्ट रूप से किसी समीकरण या असमिका के ज्ञात और अज्ञात अन्तर्जात चरों का संबंध दिखाया जाता है। कभी-कभी ये व्युत्पन्न समीकरणों के रूप में भी दिए जाते हैं, तब इनमें केवल एक अन्तर्जात चर होता है और इसका अन्य अन्तर्जात चरों या प्रचलों से संबंध दिखाया जाता है।
संचरना का तात्पर्य ऐसा घटक समूह या क्षेत्र भी होता है जिसका प्रत्येक अवयव किसी न किसी स्वायत्त समीकरण द्वारा प्रकट किया जा सकता है। किसी मॉडल का सूत्रण संरचनात्मक समीकरणों के रूप में ही किया जाता है।
Structural model
संरचनागत मॉडल
आर्थिक परिभाषाओं में निहित संबंधों को जब मात्रात्मक आधार पर एक दूसरे से जोड़ा जाता है तो संरचनागत मॉडल तैयार होता है।
इस मॉडल द्वारा किसी व्यवसाय या आर्थिक संबंध या प्रवृत्ति का अध्ययन किया जाता है।
ऐसे मॉडलों का विषय उत्पादन फलन, पूर्ति फलन, माँग फलन, कीमत और माँग की लोच, आय और माँग की लोच, उपभोग की सीमांत प्रवृत्ति तथा सीमांत उत्पादिता आदि जैसे संबंध होते हैं।
इन फलनों में संरचनागत प्राचलों का अध्ययन किया जाता है जिनका आकलन सांख्यिकी विधियों द्वारा किया जाता है।
Structural parameter
संरचना प्राचल
ऐसे प्राचल जो संरचनात्मक समीकरण के गुणांक होते हैं।
इनके आधार पर आर्थिक नीति के प्रभावों और परिणामों का अध्ययन किया जाता है, जैसे कीमतों संबंधी आँकड़े, पूर्ति और माँग की अनुसूचियाँ, सरकारी हस्तक्षेप तथा प्रायोजनाओं के प्रभावों की सफलता या असफलता के संबंध में इकट्ठे किए गए तथ्य आदि।
संरचना प्राचलों का आर्थिक विश्लेषण में विशेष महत्व होता है।
Structural relationship
संरचनात्मक संबंध
ऐसे संबंध या फलन जो अर्थव्यवस्था में व्यक्तियों या इकाइयों के आचरण को दर्शाते हैं जैसे, उत्पादन फलन, पूर्ति व माँग फलन आदि।
इन संबंधों को हम ऐसे प्राचलों द्वारा दर्शाते हैं जिनका आकलन सांख्यिकीय विधियों द्वारा किया जाता है।
तुल∘ दे∘ Structure
Structural unemployment
संरचनात्मक बेरोजगारी
अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन अवृत्तियों व प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के कारण होने वाली बेरोज़गारी।
यह आर्थिक संरचना में मूलभूत रद्दोबदल से पैदा होती है। इसे आर्थिक कल्याण के माप का एक संवेदनशील चर माना जाता है।
तुल∘ दे∘ Frictional Unemployment
Structure
संरचना
ऐसी समीकरण प्रणाली जिसमें सभी प्राचलों के संख्यात्मक मान विशेष रूप से निर्दीष्ट होते हैं।
तुल∘ दे∘ Model तथा Structural equations
Substitution effect
प्रतिस्थापन प्रभाव
वस्तुओं की कीमतों में घट-बढ़ होने से उपभोक्ता के अपने बजट के अनुसार एक वस्तु के स्थान पर दूसरी वस्तु का इस्तेमाल करना। इस प्रकार के प्रभाव का तुलनात्मक स्थैतिकी में विशेष महत्व होता है।
तुल∘ दे∘ (Income effect) तथा Slutsky equation
Substitution theorem
प्रतिस्थापन प्रमेय
अर्थव्यवस्था में सकल उत्पाद सदिशों की पूर्ति हेतु, प्रतिस्थापन की प्रक्रिया का नियम जिसके अनुसार आगत-निर्गत विश्लेषण के दौरान वस्तुओं का उत्पादन एक निश्चित स्थिर गुणांक उत्पादन फलन के अनुकूल होता है।
इस प्रमेय के अनुसार आगतों के मध्य जिस प्रकार प्रतिस्थापन्नता की उपेक्षा की जाती है वह आगत-निर्गत विश्लेषण की आर्थिक समस्या न होकर मात्र प्राविकि समस्या बन जाती है।
सैमुअल्सन ने इस प्रमेय के बारे में यह सिद्ध किया है संभावित प्रतिस्थापन्नता को देखते हुए यह सिद्धांत इन दो शर्तों के अनुसार लागू होता है:—
(1) अर्थव्यवस्था में सह-उत्पादन नहीं होना चाहिए और।
(2) सामान्यतः केवल एक ही दुर्लभ साधन होना चाहिए (जैसे श्रम)।