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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Silhouette chart
सिलुएट चार्ट
आर्थिक घटनाओं को आरेखों के रूप में दिखाने की एक विशेष विधि।
इसमें कुल राशि तथा निवल राशि के दो वक्र एक दूसरे के साथ-साथ बनाए जाते हैं और इन दोनों के बीच के क्षेत्र को हलके या गहरे रंगों द्वारा अलग दिखा दिया जाता है ताकि आर्थिक घट-बढ़ का सम्पूर्ण चित्र एकदम प्रस्तुत किया जा सके।
इन्हें पार्श्व छाया चित्र भी कहा जाता है। इस विधि द्वारा ऋण और धन दोनों प्रकार की प्रवृत्तियों का एक साथ अवलोकन किया जा सकता है।

Simplex criteria
सिम्प्लेक्स निकष
ऐसी शर्तें जिनके आधार पर नए चरों के शामिल होने से सुसंगत हल में सुधार होने का निर्णय किया जाता है।
इस निकष के अनुसार नई नीति निर्धारित की जाती है तथा इष्टतमीकरण अथवा पुनरावृत्ति की जाँच की जाती है और मूल विधि में फेर-बदल किया जाता है।
सिम्प्लेक्स निकष की विधि में केवल उस चर को आविष्ट किया जाता है जिसका धन मूल्य अधिकतम होता है। इसकी सामान्य सारणी का एक नमूना नीचे दिया जाता है:— अधिकतमीकरण के लिए एकधा निकष (TABLE)

Simplex method
सिम्प्लेक्स विधि
इस विधि में सर्वप्रथम किसी प्रोग्रामन समस्या के आधारी सुसंगत हल को लिया जाता है। फिर व्यवहार्य-हल की परिसीमा रेखा के अन्य बिन्दुओं के लिये उद्देश्य फलन के मान निकालकर अध्ययन किया जाता है। जिस बिन्दु से संबद्ध हल का उद्देश्य फलन मान अधिकतम होता है वही अन्तिम हल माना जाता है।

Single valued function
एक मान फलन
यदि y=f(x) एक फलन हो और x के एक मान के लिये y का केवल एक ही मान प्राप्त हो तब y को x का एक मान फलन कहेंगे:— उदाहरणार्थ y=x+2 या y=x^2+2x+5x
यह आवश्यक नहीं है कि एक मान फलन का व्युत्क्रम भी एक मान फलन ही हो जैसा कि दूसरे उदाहरण से स्पष्ट है।

Singular matrix
अव्युतक्रमणीय आव्यूह
ऐसा आव्यूह जिसमें कम से कम एक उपसारणिक शून्य न हो और इस प्रकार जिसकी योजना में स्वतंत्रता की n कोटि की वृद्धि की जा सके अर्थात् जिसमें D≠0 तथा स्वतंत्रता की n कोटियाँ हों।
तुल∘ दे∘ matrix तथा minor

Skewness
वैषम्य
बारंबारता वक्र में सममिति के अभाव को वैषम्य कहते हैं।
वैषम्य किसी बारंबारता बंटन में सममिति से विकृति की कोटि को मापता है। इसका संबंध वक्र की आकृत्ति से होता है वक्र के परिमाण से नहीं।
वैषम्य की कोटि को निम्न गुणाँकों से मापा जाता है, जिन्हें वैषम्य गुणांक कहते है।:— 1) (M-Mo)/σ (2) 3(M-Md))/σ (3) (Q3+Q1-3Md)/(Q3-Q1) यहाँ M=माध्य, Mo=बहुलक, Md=माध्यिका, Q3=तृयती चतुर्थक तथा Q1=प्रथम चतुर्थक है।
जब वैषम्य गुणांक शून्य होता है तब वक्र सममिति होता है, अन्यथा वैषम्य धनात्मक या ऋणात्मक होता है जैसा कि नीचे के चित्रों में दिखाया गया है:— (DIAGRAM)

Slack variable
न्यूनतापूरक चर
ऐसे चर जो असमिकाओं को समीकरणों में बदलने के लिए उनमें जोड़े जाते हैं। इनके गुणांक मात्रक सादिश होते हैं तथा इनका प्रयोग एकधा विधि में किया जाता है।

Slope
प्रवणता
तुलनात्मक स्थैतिकी में जब एक बिन्दु पर सखंडता अथवा रैखीकरण संभव नहीं होता तब ऐसे फलनों का विश्लेषण अन्तर कलन के आधार पर ढाल या प्रवणता की ज्यामितीय विधि द्वारा किया जाता है।
किसी वक्र का एक बिन्दु पर ढलान उस सीधी रेखा के ढाल के बराबर होता है जो वक्र उस बिन्दु पर स्पर्श करती है। अर्थात् ढलान या प्रवणता ऐसी सीधी रेखा और क्षैतिज अक्ष के बीच कोण के स्पर्शज्या के बराबर होती है।

Slutsky equation
स्लत्स्की समीकरण
वस्तुओं की कीमतों में फेरबदल से उपभोक्ता की आय में परिवर्तन तथा वस्तुओं के प्रतिस्थापन संबंधी समीकरण।
प्रतिस्थापन और आय प्रभावों के अन्तर्गत उपभोक्ता अपने नए बजट के अनुसार किसी वस्तु की कितनी मात्रा खरीदेगा उसके इस व्यवहार का पता हमें स्लत्स्की समीकरण से चलता है। इसका स्वरूप निम्नानुसार है:— dq1/dp1=((dq1))/dp1 U=const. (–q1 (dq1))/dy price const.
इस समीकरण को पहली बार स्वीडन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री स्लत्स्की ने दिया था।

Social stratificatin
सामाजिक स्तरीकरण
सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत किसी देश की आबादी को विभिन्न आर्थिक और जैविक वर्गों में बाँटकर दिखाने की प्रक्रिया।
आमदनी, व्यवसाय या शिक्षा की दृष्टि से अथवा धर्म, जाति, नस्ल आदि की दृष्टि से वर्ग या समूह बनाकर जनसंख्या का सामाजिक, आर्थिक अध्ययन इसका उद्देश्य होता है।
समाज को इस प्रकार के वर्गों, समूहों या स्तरों में बाँटकर इनके विशिष्ट गुणों और इनकी समस्याओं का अध्ययन भी इसकी अंतर्गत समाविष्ट होता है।


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