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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Secondary sterility
गौण बंध्यता
ऐसी स्त्रियां जो कम से कम एक बार गर्भवती हुई हों परन्तु बाद में फिर कभी गर्भवती न हुई हो 'गौण बंध्यता' की कोटि में आती हैं।
इस प्रकार की स्त्रियों के बारे में मान्यता है कि वे प्रायः अपने प्रजनन जीवन के प्रारंभ से जननक्षम्य होती हैं किन्तु बाद में वे इस कोटि में प्रवेश कर जाती हैं।
कुछ जनांकिकीविदों का कहना हैं कि इस कोटि में आने के लिए कम से कम एक जीवित प्रसव होना आवश्यक है।

Second cross-partial derivative
द्विघाती अनुप्रस्थ आंशिक अवकलज
ऐसी गणितीय विधि जिसके द्वारा एकघाती आंशिक चरों में परिवर्तन की दर को मापा जाता है।
इन चरों को मूलतः स्थिर परिवर्तन वाला माना जाता है। और अवकलन की इस विधि द्वारा माँग फलन का अध्ययन किया जाता है।
इस प्रकार के फलन को नीचे लिखे रूप में लिखा जाता है:— d^(dq/dy)/dq=(d^2 q)/(dy tp)=fyp

Secular trend
दीर्घकालिक उपनति
दीर्घकालिक उपनति एक ऐसा अनुत्क्रमणीय संचलन होता है जो किसी श्रेणी में मूल वृद्धि या ह्रास की प्रवृत्ति का वर्णन करता है तथा अपनी दिशा को जल्दी-जल्दी नहीं बदलता।
दीर्घकालिक उपनति में वृद्धि या ह्रास की दर कभी कम या कभी अधिक हो सकती है, परन्तु मुख्य बात यह है कि दीर्घकालिक उपनति में एक नियमित व्यवहार मिलता है।

Segmentality
सखण्डता
जब किसी मॉडल के छोटे-छोटे खण्ड हो सकते हों और उनमें से प्रत्येक खण्ड अपने आप में एक पूर्ण मॉडल हो और वह शेष मॉडल की सहायता के बिना स्वतः कुछ चरों का निर्धारण कर सकता हो तब यह कहा जाता है कि इस प्रकार के मॉडलों में सखण्डता है।
ऐसे मॉडल में प्रत्येक समीकरण में शुरू से अन्त तक एक तार्किक श्रृंखला पाई जाती है जैसे कि निम्नलिखित उदिहरण में:— Y=C+I+G C=(Y-T) I=f(Y-r) उपर्युक्त समीकरणों में C=उपभोग, I=निवेश (जिसमें सरकारी व्यय भी शामिल हैं), Y=राष्ट्रीय आय और T=कर प्राप्तियाँ। G और r दो बहिर्जात चर हैं।
इन तीनों अलग-अलग समीकरणों के तारतम्य को हम तीरों का निशान लगाकर एक मॉडल द्वारा दिखा सकते हैं जिसके ये सहखंड होते हैं:— (Y-r) - I ⇛ ( C, Y ) (G, T) ⇛

Sensitivity coefficient
संवेदना गुणांक
समष्टि अर्थशास्त्रीय गतिकी अध्ययनों में बहुमुखी बाजारों के मॉडलों के विश्लेषण में प्रयोग किये जाने वाले गुणांक जो यह दिखाते हैं कि कीमतों का त्वरण (accerelation) उनके वेग (velocity) पर कैसे निर्भर करता है।
अर्थात्, कीमतों के फेर-बदल से वस्तु के स्टॉक पूर्ति पर कैसे प्रभाव पड़ता है या बाजार की माँग कीमतों के प्रत्युत्तर में कितनी घटती-बढ़ती है।

Sequence
अनुक्रम
अनुक्रम का तात्पर्य संस्थाओं के एक सेट से है जिसमें पहली, दूसरी, तीसरी संख्या आदि की संज्ञा दी जा सकती है।
अगर किसी अनुक्रम की अंतिम संख्या निश्चित होती है तो इसे 'परिमित अनुक्रम' कहते हैं और दूसरी स्थिति में इसे 'अपरिमित अनुक्रम' कहा जाता है।
अनुक्रमी संख्याओं से कई प्रकार की श्रेणियाँ, जैसे समांतर श्रेणी, गुणोत्तर श्रेणी और हरात्मक श्रेणी बनाई जा सकती है।

Series
श्रेणी
किसी अनुक्रम में जब पद किसी विशेष नियम के अनुसार होते हैं तब वह अनुक्रम श्रेणी कहलाती है।
श्रेणी में अनंत पद भी हो सकते हैं। कभी-कभी श्रेणी शब्द का उपयोग पदों में रैखिक योगफल के लिए भी किया जाता है जैसे e के प्रसार: e=1+1= 1/2+1/3+⋯……. को हम अनंत श्रेणी कहते हैं।

Set
समुच्चय
ऐसा संपूर्ण समूह जिसमें कल्पित या दृष्टिगोचर होने वाले सुपरिभाषित अवयव या सदस्य सम्मिलित हों। इसे इस प्रकार लिखा जाता है:— m ε M अथवा M={ x ε N : x=E }
एक बड़े समुच्चय को उपसमुच्चयों में बाँटा जा सकता है। दो समुच्चयों के संयोग को यों दिखाया जाता है:— V=M U P
उपसमुच्चयों, सम्मिलन और प्रतिच्छेदों को 'वेन आरेखों' द्वारा दिखाया जाता है।

Sex ratio
लिंगानुपात
किसी देश की जनसंख्या के पुरूषों की संख्या और स्त्रियों की संख्या का अनुपात।
यहाँ अनुपात आमतौर पर प्रतिशत के रूप में दिया जाता है और इसका फार्मूला इस प्रकार होता है:— लिंग अनुपात = Pm/Pf×100 यहाँ Pm कुल पुरूष-जनसंख्या और Pf कुल स्त्री-जनसंख्या का द्योतक है।
लिंगानुपात का प्रजनन दर, मृत्यु दर और प्रवसन दर तीनों से गहरा संबंध है और इसे जनांकिकी अध्यययन का महत्वपूर्ण चर माना जाता है।
भारत में लिंगानुपात को प्रति सहस्त्र पुरूषों की संख्या के पीछे स्त्रियों की संख्या से मालूम किया जाता है।

Sigma
सिग्मा
सिग्मा (Σ ) योग का चिन्ह है । यथा x_1+x_2+x_3 को सिग्मा पद्धति में इस प्रकार लिखा जाएगा:— ∑^3 xi i=1 इस पद्धति में i को जोड़ का सूचकांक माना जाता है। xi एक चर होता है जिसका परिसर पूर्णाकों के बराबर होता है। Σ के ऊपर का अंक i के अंतिम मान का द्योतक होता है और नीचे का अंक आरंभिक पद का संकेत करता है।


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