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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Rank of a matrix
आव्यूह की कोटि
आव्यूह की कोटि स्वतंत्र रूप से लिखित पंक्तियों की संख्या के बराबर होती है अथवा उतने स्वतंत्र स्तंभों के बराबर होती है जो आव्यूह में दिए गए होते हैं।
आव्यूह कुछ स्तंभों (अथवा पंक्तियों) का समुच्चय होता है जिसमें पंक्तियाँ एक विशिष्ट क्रम में लिखे गए सदिशों के समुच्चय के बराबर होती हैं।

Rate of inflation
स्फीति दर
स्फीति दर एक अर्थशास्त्रीय संकल्पना है। इसके अनुसार यदि किसी चर (कीमतों) के परिवर्तन की दर दो भिन्न-भिन्न समयों में मालूम करनी हो तब यह देखा जाता है कि कालांतर में अधिमाँग के फलस्वरूप कीमतों में होने वाले परिवर्तन की दर में कितनी वृद्धि हुई है। यह अनुपात स्फीति दर कहलाता है।
इसे हम समय-पथ पर काल अक्ष के ढाल या उसकी स्पर्श रेखा द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। स्फीति का सामान्य फलन P= f(t) होता है और परिवर्तन की दर को हम dp/dt अथवा P^1द्वारा व्यक्त करते हैं।
जब P^1=O होता है, तो कीमतें स्थिर होती हैं और जब P^1 < O होता है, तब अवस्फीति की स्थिति होती है। और जब P^1> O होता है, तब स्फीति के बढ़ने की स्थिति होती है।

Rational function
परिमेय फलन
ऐसा फलन जिसमें y को x चरों वाले दो बहुपदों के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है यथा:— y= (x-1)/(x^2+2x+4) अथवा y=a/x xy=a
तुल∘ दे∘ function

Recall lapse
स्मरण भूल
घटनाओं या अभिलक्षणों के बारे में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर स्मरण शक्ति के आधार पर ठीक से न दे पाना।
कुछ घटनाएं रिकार्ड होने से बिलकुल छूट जाती हैं या उन घटनाओं का समय सही निर्धारित न हो पाने के कारण या तो उन्हें छोड़ दिया जाता है या उन्हें गलत रिकार्ड कर लिया जाता है।
स्मरण भूल की यह मात्रा घटनाओं के प्रकारों के अनुसार बदलती रहती है और उसमें इन्टरव्यू की प्रणाली के अनुसार भी परिवर्तन होता रहता है। घटना को घटित हुए यदि अधिक समय बीत गया हो और सर्वेक्षण बाद में किया जाए तो स्मरण भूल की आशंका अधिक बढ़ जाती है।

Recording procedures
अभिलेखन विधि
दोहरी अभिलेखन पद्धति में एक विधि जिसके अनुसार अभिलेखकर्ता किसी निर्धारित क्षेत्र में लगातार प्रेक्षण कार्य करता रहता है और उस क्षेत्र की जैव घटनाओं को चुन कर नोट करता रहता है।
इसके लिए विविध प्रकार की प्रेक्षण विधियाँ काम में लाई जाती हैं।

Reduced form equation
समानीत रूप समीकरण
युगपत् समीकरण मॉडल में परिणाम या हल समीकरण।
इसमें समानयन विधि द्वारा, अंततोगत्वा समीकरण को लघु रूप में दिखाया जाता है। इसमें अन्तर्जात चरों के युगपत समीकरण, प्राचलों और बहिर्जात चरों सभी के समानयन के पश्चात् अंत में मॉडल का जो रूप शेष रह जाता है उसे हो समानीत रूप कहा जाता है।
समानीत समीकरण वह समीकरण है जो युगपत् समीकरण मॉडल को हल करके इस प्रकार लिखा जाता है कि स्वतंत्र चर बाईं ओर दिखाए जाएं।
यह समीकरण आश्रित चरों की स्वतंत्र चरों के रूप में व्याख्या करता है। उदाहरणार्थ यदि युगपत् समीकरण मॉडल y=xβ-μ हो, तो इसका समानीत रूप समीकरण यों होगा:- γ=xπ+ϑ इसमें π=β^(-1) ϑ=u^(-1)

Registration
पंजीकरण
देश के निर्धारित अधिकारियों द्वारा जैव घटनाओं का विधिवत अभिलेख।
इसके लिए जन्म रजिस्टर, मृत्यु रजिस्टर, विवाह रजिस्टर आदि अलग-अलग रजिस्टरों का प्रयोग किया जाता है। संबंधित घटनाओं को इन रजिस्टरों में दर्ज करने की प्रक्रिया को पंजीकरण कहते हैं।
इनका कानूनी महत्व होता है और इनके उद्धरणों को कानून द्वारा ग्राह्य साक्ष्य माना जाता है।

Regression
समाश्रयण
एक वस्तु पर अन्य वस्तु के आश्रित होने की स्थिति को समाश्रयण कहते हैं।
सांख्यिकी में समाश्रयण दो चरों की एक-दूसरे पर आश्रितता का अध्ययन करता है। सरल रेखा के रूप में हम किन्हीं दो समाश्रयण संबंधों को निम्न रूप से मालूम कर सकते हैं:— (1) y पर x की समाश्रयण रेखा:-- यह वह रेखा हैं जो y के दत्त मान के लिए x का श्रेष्ठतम प्रत्याशित मान प्रदान करती है। यह रेखा y के मानों में विचरण के तदनुरूप x के मानों में विचरण का वर्णन करती है। इसका समीकरण x - x̅ = by (y - y̅ ) होता है। (2) x पर y की समाश्रयण रेखा:-- यह वह रेखा है जो x के दत्त मान के लिए x का श्रेष्ठतम प्रत्याशित मान प्रदान करती है। इसका समाश्रयण y - y̅ = bx (x - x̅) होता है। by और bx समाश्रयण गुणांक कहलाते हैं तथा by और bx का गुणनफल r² के बराबर होता है।

Regression equation
समाश्रयण समीकरण
समाश्रयण समीकरण स्वतंत्र (कारण) और आश्रित (प्रभाव) चरों के बीच एक संबंध को प्रदर्शित करता है।
इसके अन्तर्गत रैखिक सरल व बहुविध समाश्रयण और अरैखिक सरल व बहुविध समाश्रयण, ये सभी विधियाँ सम्मिलित है।
समाश्रयण समीकरण में किसी भी यादृच्छिक चर Y का पूर्वानुमान लगाना होता है जबकि स्वतंत्र चर X का मान पूर्वज्ञात होता है और इसके साथ ही X और Y के संबंध में कुछ प्राचलों α और β का भी आकलन करना होता है।
यदि α आनुभविक सामाश्रयण स्थिरांक हो और β आनुभविक समाश्रयण गुणांक हो तो हम Y और X उपर्युक्त संबंध को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं।
(1) (1) y=α+βx (2) y=α+β^x (3) y=α+ e^rx (4) y=α+βx+γz (5) y=α+β_1 f_1 (x)+γf_2 (z) f_1 (x) और z के अरैखिक फलन हैं।

Regular oscillation
नियमित दोलन
ऐसी स्थिति जिसमें अर्थव्यवस्था में न तो विस्फोटक दोलनों की स्थिति होती है और न ही अवमंदित दोलनों की। माँग वक्र और पूर्ति वक्र दोनों का ढलान बराबर होता है तथा इन वक्रों के फासले में न कोई वृद्धि होती हैं और न कोई कमी।
ऐसी स्थिति में नियमित काल या अवधि के बाद मूल असंतुलन की स्थिति दिखाई देती है।


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