पदार्थ
1. अरस्तू के दर्शन में, विधेय के दस प्रकारों में से एक; सत्ता के सबसे आधारभूत रूपों में से एक। ये दस हैं - द्रव्य, परिमाण, गुण, संबंध, स्थान, काल, स्थिति, अवस्था, क्रिया तथा क्रियाफलभागिता।
2. कांट के दर्शन में, प्रतिपत्ति (undestanding) के बारह प्रागनुभविक आकारों (a proori forms) में से एक, जो ये हैं - 'एकता, अनेकता, साकल्प ('परिमाण' के अन्तर्गत); सत्ता, निषेध, परिच्छिन्नत्व ('गुण' के अंतर्गत); द्रव्य-गुण, कारण कार्य, पारस्परिकता ('संबंध' के अंतर्गत); संभवता-असंभवता, अस्तित्व-अनस्तित्व, अनिवार्यता-आपातिकता '(निश्चयमात्र' के अंतर्गत)
Category Mistake
कोटि-दोष, कोटि-त्रुटि
गिलबर्ट राईल के अनुसार एक श्रेणी या कोटि के शब्द को किसी दूसरी कोटि में समझ बैठने की गलती।
Catharsis
विरेचन
इस शब्द का प्रयोग यूनानी दर्शन में अरस्तू ने प्राथमिक चिकित्सा, धार्मिक शुद्धिकरण आदि के संदर्भ में किया है। इसका अर्थ शारीरिक तथा मानसिक शुद्धिकरण की क्रिया है।
Causa Ficta
कल्पित कारण
वह कारण जिसकी कल्पना कर ली गई हो।
Causal Body
कारण-शरीर
वेदान्त दर्शन में, स्थूल शरीर का मूल, अविद्या से निर्मित शरीर, जो मोक्ष पर्यन्त जीव के साथ बना रहता है।
Causal Coincidence
आकस्मिक संपात, कारण संपात
कोई कारणमूलक संबंध होने से दो घटनाओं का साथ घटना।
Causal Condition
कारण-उपाधि
वह उपाधि जो किसी कार्य को उत्पन्न करने के लिए आवश्यक होती है। यह उपाधि कारण का एक घटक होती है।
Causal Determinism
कारण नियतत्ववाद
वह मत कि प्रत्येक घटना अपने कारण से निर्धारित होती है।
Causal Implication
कारणात्मक आपादन
वह हेतुफलात्मक प्रतिज्ञप्ति जिसमें हेतु वाक्य कारण का सूचक होता है और फलवाक्य कार्य का सूचक होता है, जैसे, `यदि गर्मी तेज़ पड़ती है, तो वर्षा भी अच्छी होती है`।
Causality
कारणता, कार्यकारण-भाव
कार्य-कारण का संबंध, अर्थात् दो घटनाओं का इस प्रकार का अनिवार्य संबंध कि एक के होने पर दूसरी हो और उसके न होने पर वह न हो।