आर्थिक गतिकी का असतत काल के संदर्भ में अध्ययन आवर्तकालिक विश्लेषण कहलाता है।
आवर्तकाल का तात्पर्य वह अवधि है जो किसी चर y का मान बदलने में लगती है।
इस प्रकार के विश्लेषण में काल को समय बिंदु (point of time) न मानकर समय अंतराल (period of time) माना जाता है। यथा t-1, t-2 आदि।
Periodic data
आवधिक आँकड़े
आवधिक आँकड़ों को आर्थिक इकाइयों, जैसे बिक्री, उत्पादन, कीमतों, मजदूरी या वेतन आदि के रूप में प्रति सप्ताह, मास अथवा वर्ष के संदर्भ में दिखाया जाता है।
इस प्रकार के आँकड़ों के आधार पर काल श्रेणियों के वक्र तैयार किए जाते हैं तथा सारणियाँ बनाई जाती हैं।
Phase
प्रावस्था
किसी आवर्ती फलन का मूलबिन्दु पर शिखर उसकी प्रावस्था कहलाता है।
प्रावस्था का माप सामान्यतया कोण के रूप में दर्शाया जाता है यथा:--
y=a sin(λt+ϕ)
इसमें ϕ को प्रावस्था कहते हैं।
Pictograph
चित्रालेख
एक ऐसी विधि जिसके द्वारा छोटी-छोटी तस्वीरों के ज़रिए आर्थिक तथ्यों का प्रभाव दृश्य माध्यम से डालने के लिए उनकी संख्या और आकार के अनुकूल चित्रालेख तैयार किए जाते हैं जैसे, किसी कारखाने में एक वर्ष में कितनी कारें या ट्रैक्टर बने या कितने आवासों का निर्माण किया गया, आदि।
आम लोगों के मन पर आँकड़ों की अपेक्षा इन चित्रों का शीघ्र प्रभाव पड़ता है। इसलिए सांख्यिकीय तथ्यों के व्यापक प्रभाव के लिए यह विधि अपनाई जाती है।
Pie
पाई
पाई (π) गुणा का संकेत है जैसे x_1,x_2,……x_n को यदि गुणा करना हो, तो हम इसे यों लिख सकते हैं :—
π^n x^i
i=1
इस संकेत के नीचे i=1 गुणा के पहले पद का द्योतक है और ऊपर का n अंतिम पद का।
गुणा के अर्थ में पाई अक्षर अपने बड़े (Capital) रूप में लिखा जाता है। छोटे रूप (π) में यह किसी वृत्त की परिधि और व्यास के अनुपात को प्रदशित करता है, अर्थात π=22/7
Pie diagram
वृत्तआरेख
भिन्न-भिन्न आँकड़ों या अनुपातों को दर्शाने लिए एक वृत्त के अंशों या भागों के रूप में बाँट कर दिखाया गया चित्र।
वृत्त आरेख के अंदर अनुपातों के परस्पर संबंध को प्रदर्शित करने वाले आँकड़े लिख दिए जाते हैं। ऐसे आरेख को प्रभावी बनाने के लिए वृत्त के भागों में अलग-अलग रंग भी भर दिए जाते हैं।
सरकारी व्यय, राजस्व, करों के प्रभाव आदि को दिखाने लिए वृत्त आरेखों की विधि का सांख्यिकीविदों द्वारा बहुधा प्रयोग किया जाता है।
वृत्ताकार आरेख बनाने के लिए वर्गमूलों को त्रिज्या मानकर वृत्तों की रचना की जाती है। इसके लिए सब वृत्तों के केन्द्र एक ही सरल रेखा में होने चाहिए और वृत्तों के बीच एक जैसा खाली स्थान रखना चाहिए।
इसके नमूने का एक चित्र नीचे दिया जाता है:—
(DIAGRAM)
Pilot survey
मार्गदर्शी सर्वेक्षण
ऐसा सर्वेक्षण जो मूलतः किसी बड़े पैमाने या बृहत सर्वेक्षण की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से छोटे स्तर पर चुने गए नमूने या क्षेत्रीय आधार पर सूचना एकत्रित करने के लिए किया जाता है।
इस विधि का उपयोग किसी वृहत योजना की उपयुक्तता की जाँच करने या प्रतिचयन की इकाई का प्रभावकारी परिणाम आदि जानने के लिए किया जाता है।
Pin map
पिन मानचित्र
इस प्रकार के चित्र गत्ते पर या कार्क पर बनाये जाते हैं और इनमें भरी जाने वाली सूचना पिनों के निशानों द्वारा दी जाती है। इन पिनों के सिर शीशे के या रंग-बिरंगे तथा भिन्न-भिन्न आकार के होते हैं। जैसे ही आँकड़ों में कोई फेर-बदल होता हैं, इनमें नई पिनें लगा दी जाती हैं या पिनों का आकार बदल दिया जाता है।
गतिशील या परिवर्तनशील सांख्यिकी घटनाक्रम को प्रदर्शित करने के लिए इस मानचित्र विधि का मुख्यालयों में आमतौर पर प्रयोग किया जाता है।
Point data
समय बिंदु आँकड़े
यह ऐसे आँकड़ो का वर्ग होता है जो सप्ताह के किसी दिन, किसी तारीख या वर्ष की किसी तिमाही, छमाही आदि किसी विशेष समय के लिए सूचना देता है।
इनके अंतर्गत माल की तालिकाओं, स्टॉक के मूल्य, भाव या दामों आदि आर्थिक तथ्यों का उल्लेख किया जाता है।
इन आँकड़ों के समय को क्षैतिज अक्ष पर दिखाया जाता है और आर्थिक जिन्स को उदग्र अक्ष पर।
Point of inflexion
नति परिवर्तन बिन्दु
ऐसा बिन्दु जिस पर स्पर्श रेखा का ढाल न तो बढ़ता और न घटता है। इस बिन्दु पर फलन स्थिर होता है परन्तु उसका कोई चरम मान नहीं होता।
चरम बिंदु किसी फलन या संबंध को दर्शाने वाले ऐसे स्थल होते हैं जहाँ पर फलन का मान तो प्राप्त हो जाता है किन्तु वह उच्चतम या न्यूनतम की शर्त को पूरा नहीं करता।