सोपाधिक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें एक अथवा एक से अधिक आधारवाक्य हेतुफलाश्रित होते हैं।
Conditions Sine Quibusnon
अपरिहार्य उपाधियाँ
वे उपाधियाँ जिनकी अनुपस्थिति में किसी कारण द्वारा संबंधित कार्य उत्पन्न करना असंभव होता है।
Conduct
आचार, आचरण
1. वह ऐच्छिक-कर्म या व्यवहार जो किसी उद्देश्य प्राप्ति के लिए किया जाता है।
2. ऐच्छिक कर्म ही नैतिक निर्णय का विषय होता है।
Confession
पाप स्वीकृति
विशेष रूप से ईसाई धर्म में, किसी धर्माचार्य के सामने यह मान लेना कि मैंने अमुक पाप किया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस तरह पाप के फल से मुक्ति मिल जाती है।
Congruism
आनुकूल्यवाद
वह मत कि ईश्वरीय कृपा इसलिए प्रभावकारी होती है कि कर्म-विपाक ईश्वर अनुकूल समय को चुनता है।
Congruity
1. अन्तरस्थ असमानुपात (धर्मशास्त्र), अध्यर्हता : पुण्यानुरूप फल का प्राप्त न होना।
2. सर्वांग समता (तर्कशास्त्र) : दो या अनेक प्रतिज्ञप्तियों / अभिव्यक्तियों के मध्य प्रत्येक तत्त्व की सम्पूर्ण समता।
Conjunct
संयोजक, संयुक्तक
दो प्रकथनों को जोड़ने वाला पद जैसे : 'और', 'तथा'।
Conjunction
संयोजन
वह योगिक प्रकथन जो दो या दो से अधिक प्रतिज्ञप्तियों को जोड़कर बनता है। इन प्रतिज्ञप्तियों को दो या दो से अधिक प्रतिज्ञप्तियों में घटित किया जा सकता है। जैसे : राम पढ़ेगा और लिखेगा। इसका प्रतीक (.) है।
Conjunctive Proposition
संयोजक प्रतिज्ञप्ति
वह योगिक प्रतिज्ञप्ति जिसमें दो या दो से अधिक सरल प्रतिज्ञप्तियाँ 'और' शब्द से जुड़ी होती हैं।
Conjunctive Syllogism
संयोजी न्यायवाक्य
हैमिल्टन (Hamilton) के द्वारा सोपाधिक न्यायवाक्य (conditional syllogism) के लिए प्रयुक्त पद।